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विजयनगर की शासन व्यवस्था व जैनधर्म । [९९
१४०५-७६ १० में वहाँको तीर्थडर बसलिका मुलमेट बनाना था। बीरपांख्य का अपरगाम पाण्डय क्ष्मापति भी अनुमान किया गया जिन्होंने भव्यानन्द शास्त्र रचा था x शासनकर्ता काललदेवी ।
सन् १५३० १०
बोख्यिकी बुआ और भैरवेन्द्र नरेशकी छोटी बहन का देवी यागु खसीमे नामक स्थान पर शासन कालीं थीं। यह रानी भी नवने भाई मसीओ के अनुरूप चैनधमकी उपासिका थीं। उन्होंने अपने राज्यमें जैनधर्म प्रचारका विशेष प्रee किया था । बाजि भव्यजीवों (जैनियों ) का प्रमुख केन्द्र था। कल बस्ती के पार्श्वती फालदेवीके कुलदेवता थे। जब उनकी पुत्री रामदेवीका असामयिक स्वर्गवास हुआ तो कालदेवीने उनकी स्मृतिमें अपने
देवताकी दैनिक पूजा और उत्सबके किये भूमिदान दिया था । -कुछ समय पहले उसी कल्ली (मंदिर) को कोलिय नामक मल्लाह दान दिया था। शनीन मल्लाह के दानको भी बढ़ा दिया था। कालक महादेवी द्वारा जैन धर्मका उत्कर्ष विशेष हुआ था।*
राजा इम्मडि भैरवेन्द्र और जैन धर्म ।
सम्पति मैरकेंद्र बोडेबर अपनेको पट्टि पोम्बुचपुर का शाधिकारी कहते थे। उन्होंने कारकको विशाक' चतुर्मुखसति" नामक मंदिर निर्माण कम के जनक- भक्तिका परिचय दिया था। १६ मार्च १८६ १० को
प्रतिय
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२- मे० १० १२०-१२१.