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रानमन्त्री । पालगेन्द्र नरेश रानमन्त्री पर अभया पाणये। हमी सम्बंध होस । रानमर्यादाको स्थिर रखने में सका लेखावीत सायबा। इसी प्रसन्न होकर मालुवेन्द्रवे उनको भोगेको नाक ग्राम मेंट किया। किन्तु पद्म इतने समुदार और धर्मकाये कि उनोहमाम जिन वर्मक उत्कर्षके लिये दान कर दिया। संभवत: मोने अपने नाम पर 'पाकापुर ' नामक ग्राम बसाया और सन् १९९८ ई० में उन्होंने उस प्राममें एक अन्य जिना निर्माण कराकर उसमें भ० पार्श्वनायकी मूर्ति विमलमान की भी। महामंडलेश्वर इन्द्रा बोराकीच्छानुसार उन्होंने उसके लिये भूमिदान दिया। ___महामंडलेश्वान्दगरस भी महामंडलेश्वर संगिगनके पुत्र थे। मालुमेन्द्र नरेश समक्त: संगिरायके उरेष्ठ पुत्र थे। इन्दसम्मति मालुपेन्द्र मामसे भो विरूपात थे। उनका नाम सैनिक प्रवृतियों के कारण खून ब हा ग। सन् १४९१ के एक लेखमें उनके शौर्यका बखान है और लिखा है कि उन्होंने शौर्यदेवताको जीत किया था ! विडिक (वेणुपुर ) की पर्वमानस्वामी बसदिसे प्राचीन भूमिदानका पुनरुद्धार करके उन्होंने बैनधर्मको उस बनाया था।
सालुन मल्लिरापादि जैनधर्म के माश्रयदाता।
मागे संगीतपुरके मालुस नरेशों में साहस मल्लिराव, माला देश. समोर सालणदेवतपर्म की अपेक्षा उल्लेखनीय है। कृष्ण
की माता मामा निजलगर प्रवास प्रशाकीबानी न १५३... के वानरसे साBिi