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________________ २० ] संक्षिप्त जैन इतिहास इस कालमें आदि धर्म देशना थी। भगवानने काशी, अवंती, कुरुजांगळ, कोशल, सुझ, पुंडू, चेदि, अंग, बंग, मगध, मंत्र, कलिंग, भद्र, पंचाल मालव, दशार्ण, विदर्भ आदि देशोंमें बिहार किया था । लोगोंको सन्मार्गर लगाया था । अन्ततः कैलास पर्वत पर जाकर भगवान विराजमान हुये थे और वहींसे माघ कृष्णा चतुदशीको भगवान निर्वाणपदके अधिकारी हुये । भरत महाराजने उनके स्मारक में वहां उनकी स्वर्ण-प्रतिमा निर्मित कराई थी । * 1 दक्षिण भारतके प्रथम सभ्राट् बाहुबलि । भगवान ऋषभदेवके दूसरे पुत्र बाहुबलि थे । यह महा बलवान और अति सुंदर थे । इसीलिये इनको पहला कामदेव कहा गया है । भगवान ऋषभदेवने बाहुबलिको अश्मक - रम्यक अथवा सुरम्य देशका शासक नियुक्त किया था और वह पोदनपुर से प्रजाका पालन करते थे | अपने समय के अनुपम सुन्दर और श्रेष्ठ शासकको पाकर उनकी प्रजा अतीव संतुष्ट हुई थी। यही वजह है कि आज भी उनकी पवित्र स्मृति लोगों के हृदयोंमें सजीव है। दक्षिण भारत के लोग उन्हें 'गोमट्ट' अर्थात् 'कामदेव' नामसे स्मरण करते हैं और निस्सन्देह वह कामदेव थे । परन्तु कामदेव होते हुये भी बाहुबलि नीति और मर्यादा धर्मके आदर्श थे । साथ ही उनकी मनोवृत्ति स्वाधीन और न्यायानुमोदित थी । वह अन्यायके प्रतिकार और कर्तव्य पालन के लिये मोह ममता और कायरता से * विशेषके लिये मादिपुराण व संक्षिप्त जन इतिहास प्रथम भाग देखो ।
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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