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संक्षिक क्षेत्र इविक्षन। गुरू जेनाचार्य थे, बल्कि पांचवी शताब्दि तक उस बंशके राजा गुरू जेनी हो रहे । चेर राजा कुमार इनको मादिगलके पितामह एक महावीर थे । एक युद्ध में उनकी पीठमें घातक भाषात पहुंचा। उन्होंने अपना अन्त समय निकट जानकर सल्लेखना व्रत स्वीकार किया था।
राजकुमार इगोबर्द्ध मा जैन मुनि हुये थे। कोंगु देखये अनेक प्राचीन स्थान से हैं जिनसे प्राचीनकालमें न धर्मका बहु प्रचार स्पष्ट होता है। विजियमङ्गलम् नामक स्थानपर चन्द्रप्रभ तीर्थरका एक जैन मंदिर है। उसमें पांचों पाण्डवोंकी तथा भगवान् ऋषभदेवकी भी मृतियां हैं। मंदिरके पांचवें बड़े कमरेचे पत्थरमें आदीश्वर भगवानको जीवन पटनायें पारित हैं।'
इम प्रकार इन तीनों द्रविड गज्योंमें प्राचीनकाल से जैन धर्म प्रधान रहा था । इन राजवंशोक राजत्वका क्रम यह था कि पहले. चोकराज प्रधान थे; उनके बाद चेर राजामों का पावल्य रहा । मन्तमें पाण्यराज प्रमुख सत्ताधीश हुये । पाण्डयों के उपरान्त पल्लव. चालु. क्याविकी प्रधानता हुई थी. जिनका इतिहास मागे लिखा जायगा। द्राविड राजाबोंके राजत्वकालमें तामिळदेशका व्यापार मी
___ खूब उन्नतिपर म्हा था । निस्सन्देह दक्षिणब्यापार। भारतका व्यापार तब एक भार उत्तरभारतसे
होता था तो दूसरी बार योरुपक देशोंसे भी १-पैसाई०, पृष्ठ २९-३० व गैमकु., मा० १ पृष्ठ ३७० । २-मीयो०, मा. २९१८-११।