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९४] मंलित जैन इतिहास। देशों में होने हुये सिन्धु-सौवीर देशमें पहुँचे थे, तब विंध्याचलके समान स्थित देश उनके सम्पर्क में आनेसे नहीं बचे।
हेमांगदेशकी गजधानी राजपुर में भगवानका शुभागमन हुआ था । गजपुर दण्डकारण्यके निष्ट अवस्थित था। वहां के राजा जीवधा अत्यंत पराक्रमी थे। उन्होंने पलवदेशादि विजय किये थे। उनका विचरण दक्षिण भारत के देशोंमें भी हुआ था। दक्षिणम्य क्षमपुगमे उन्होंने दिव्य जिनमंदिर दर्शन किये थे। माखिर भ० महावी के निकट मुनि होगये थे । पोदनपुग् गजा प्रसन्नचंद म. महावीर का भक्त था : पोगपुरका राजा भी भगवान् महावीरका शिष्य था।
___ भगवान का शुभागमन हुन देशोष हा था। इसमे मागे वे गये थे या नहीं, यह कुछ पनाही करना . हवंशपुगण' में अवश्य कहा गया कि भ० महावीग्ने ऋषभदेव के ममान ही सारे मायं में। और धर्मना किया । इसका अर्थ यही है कि दक्षिण भाग्नये भी चे १ चे थे । सम्राट् श्रेणिक, जम्बूकुमार और विद्युचर । भगवान् महावीर-बमानके अनन्य भक्त सम्राट् श्रेणिक थे।
तब मगधमें शिशु नागवंशके राजामोंडा मेणिक विम्पसार। राज्य का। मेणिक उसी के गल
पौर मगप साम्राज्य संस्थापक थे। मगध राज्यका उन्होंने खूब ही विस्तार किया था। प्रते हैं कि
१-सिधा., मा० २०९-१.२ -1, पृष्ठ १८ ।
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