________________
-
-
-
१२६] संक्षिप्त जैन इतिहास । सोमनाथके मंदिरको इसने फिरसे पाषाणका बनवा दिया था। भीमकी अनवन आबके सरदार धन्धुक परमारसे हुई थी और उसके सेनापति विमलने उसे पगस्त किया था ।' आक्री चित्रकूट पहाडी “विमलशाहको मिली, जिसपर उसने सुंदर जैन मदिर बनवाया। यह मदिर 'विमलवमही' नामले प्रसिद्ध है । इस मंदिरके विषयमे कर्नल टॉड सा० ने “ ट्रेविल्स इन बैटर्न दन्डिया " मे लिखा है कि "हिन्दुस्तान भरमे यह मदिर सर्वोत्तम है और ताजमहालके सिवा कोई दूसरा स्थान इसकी समता नहीं कर सक्ता । 'उदय-वराह' नामक भीमका पुत्र कर्ण उसके उपरान्त राज्यका अधिकारी हुआ। इसने सन १०६४ से १०९४ ई० तक मुंजालु, सातु और उदय नामक मत्रियोंकी सम्मतिसे राज्य किया ।
उदय मारवाडके श्रीमाली बनिये थे । उन्होने कर्णावती नगग्मे एक जैन मंदिर बनवाया था, जिसमे ७२ नीर्षझरोंकी मूर्तियां विराजमान थीं। कर्णावती नगरीकी स्थापना राजा कर्णद्वारा हुई थी और यह नगर आजकाल अहमदाबाढके नामसे प्रसिद्ध है। उदयके पाच पुत्र-आहड, चाहड, वाह्ड, अनड और सोल्ला थे। इनमेसे पहेले चारने राजा कुमारपालकी सेवा कीथी और सोल्ला व्यापारी हो गया था । दूसरे मंत्री सातु भी जैनी थे। इन्होंने सातुवसही नामक जैनमदिर बनवाया था। राजा कर्णने श्वेताम्बराचार्य अभयदेवसूरिका आदर किया था । इनका विरुद 'मलधारिन' था
१-बप्रास्मा०, पृ० २०४-२०५ । २-राइ०, भा० १ पृ० २३ । ३. वप्राजैस्मा०, पृ० २०५। ४-हिवि०, भा० ३ पृ० २३९ । ५-प्राजैस्मा०, पृ० २०५ ।