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११८] संक्षिप्त जैन इतिहास । उडाकर अपने धर्ममे सम्मिलित कर लिया है " । (हुएनत्सांगका भारत भ्रमण पृ० १४२ ) सभवत यही कारण है कि दिगम्बर मान्यताकी अपेक्षा श्वेतावरों द्वारा वर्णित भगवान महावी-जीक चरित्रका सादृश्य म० बुद्धके जीवनसे अधिक है । श्वतावर भगवान महावीरको म० बुद्धकी तरह यशोढा नामक राजकुमारीसे विवाह करते लिखते है और बतलाते है कि उनके भाई नन्दवर्धन थे। गौतमबुद्धके भाईका नाम भी नन्द था। दिगम्बर ग्रंथोंमे भगवानका कोई भाई बहिन कोई प्रगट नहीं किया गया है। उनमे भगवानके पाचोंकल्याणोंके समय विशाखा नक्षत्रका होना लिखा है, परन्तु श्वेतांबरोंने तब हस्तोत्तरा नक्षत्रका होना' म० बुद्धके जन्म; बोधि और परिनिर्वाण अवसरोंके समान लिखा है । ___महावीरजीको श्वेताम्बर ग्रंथोंमे पापोंसे विलग रहनेका निश्चय जिन शब्दोंमे ( सव्वं मे अपणिज्ज पापं ) प्रकट करते बताया है; करीब २ ठीक वैसे ही शब्दोंमे गौतमबुद्ध वैसा ही निश्चय प्रगट करते हुये बौद्धग्रंथ " धम्मपद" (१८३) मे बताये गये है (सव्व पापस्म अकरण) । केवल इतनी ही साश्यता नहीं है बल्कि विद्वानोंने प्रगट कर दिया है कि श्वे. जैन और बौद्ध ग्रंथोंमे अनेकों एक समान कथानक, वाक्य, उक्तिया और उपदेश है। 'उत्तराध्ययन सूत्र मे राजा श्रेणिकका समागम जो एक जैन मुनिसे हुआ . १-साम्स आफ ब्रदरन, पृ० १२६ । २-आसू० २-२४-२०। ३-मनि०, २६-१७। ४-उसू०की भूमिका व 'सर मासुतोष मिमोरियल बॉल्यूम' भा० २ में प्रो० बपटका "जैन अर्द्धमागधी टेक्स्ट' शीर्षक लेख देखो।