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संक्षिप्त जैन इतिहास |
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गुजरातमें जैनधर्म और श्वेताम्बर
आगम ग्रन्थोंको उत्पत्ति ।
प्राचीनकालके तीन अर्थात् (१) आनर्त ( २ ) सौराष्ट्र और (३) लाट देशोंका नाम गुजरात है। जैनोंकी
प्राचीनकाल से गुज- मान्यता है कि कर्मभूमिकी आदिमे भगवान् रात में जैनधर्म । ऋत्रभदेवके समय विविध देशका नामकरण और विभाग हुआ था । परन्तु उस समय यह देश संभवत सौवीरके नामसे प्रख्यात था । उपरांत भगवान् महावीरजीके समयमे सौवीर वर्तमानके ईंडर राज्य जितना था । यहां प्रसिद्ध जिनेन्द्रभक्त राजा उदयन राज्याधिकारी था । किंतु इसके पहले भगवान् नेमनाथके समयमे गुजरातपर यादवोंका अधिकार होगया था । यादवोंके अगमनपर ही द्वारिका नगर बसाया गया था और वही उनकी राजधानी था।' यादववंशी राजा उग्रसेनका राज्य जूनागढ़मे था । भगवान नेमिनाथजीका विवाह इन्हीं राजाकी पुत्री राजकुमारी राजुलसे होना निश्चिन हुआ था, किन्तु नेमिनाथजी बारात से ही विरक्त होकर गिरनार पर्वतपर जाकर तपश्चरण करने लगे थे और वहींसे उन्होंने मुक्तपद पाया था । तबसे गिरनार जैनोंका वडा तीर्थ है ।
ऐतिहासिक कालमे हमे पता चलता है कि गुजरातमें जैन सम्राट् चन्द्रगुप्तका राज्य था। उनके वैश्य जातीय सालेने जूनागढ़मे १ - हरि०, पृ० ३९६-३९९ ।
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