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१०८] संक्षिप्त जैन इतिहास।
दक्षिण भारतमे जैनधर्मका अधिक प्रचार हानेके कारण, उत्तरी भारतकी अपेक्षा, वहा मासका रिवाज कम था। स्त्रियोंकी तब राजनैतिक स्थिति भी मानी जाती थी। उन्हें भी जायदाद दी जाती थी। स्त्रियोंका भी सम्पत्तिपर अधिकार होता था। साधारण नागरिक-स्त्री-नागरिक भी अपनी इच्छानुसार धर्मपरिवर्तनमे स्वतत्र था। साधारण जनताका प्राय प्रत्येक कार्य ग्रामीण पंचायतों द्वारा होता 'था। सरकारी न्यायालय भी स्थान २ पर होते थे। शासन विधान परिष्कृत रूपमे था" x सन् ६३० ई०मे हुएनत्साग नामक एक चीनी यात्री भारतमे
___ आया था। उसने सारे भारतका पर्यटन चीनी यात्री हुएन- किया था और यहा १६ वर्ष रहकर वह त्सांगका विवरण | सन् ६४५ ई०मे अपने देशको लौटगया था।
उसकी यात्राका हाल एक पुस्तकमे लिखा मिलता है। वह अफगानिस्थानसे होकर भारतमे दाखिल हुआ था। उसे अफगानिस्तानमे दि० जैन लोग एक बडी संख्यामे मिले थे। कावुलका राजा हिन्दू था । यदि कावुलके आसपासके पुरातत्वकी खोज की जाय, तो जैन चिन्ह मिलना संभव है। अफगानिस्तानसे अगाडी चलकर पेशावर व कान्धारमें भी जैनोंकी बाहुल्यता थी। सिंहपुरमे हूएनत्सागको दिगम्बर और श्वेतांवर दोनों संप्रदायके जैनी मिले थे। गाधारमे भी उसे जैनी अधिक संख्यामे मिले थे।
xत्यागभूमि, वर्ष २ भा० १ पृ० ३००-३०३ । १-कंजाऐंइं० । पृ० ६७१। २-भाप्रासह० पृ० १९ व कंजाएइ पृ० १४३ । ३न । पृ०६७१।