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माझयन।
लिया। अपने देशमें सब प्रकारकी सुविधा होने के कारण भारतवासियोंने सांसारिक विषयों को छोड़कर परमार्थकी ओर अधिक ध्यान दिया। यही कारण है कि प्राचीन कालमें आध्यात्मिक उन्नति अधिक हुई और हिन्दु समाजमें अदभुत तत्वज्ञानी हुए I+ ___इस स्थितिसे कतिपय विद्वान् भारतकी कुछ हानि हुई खयाल करते हैं । उनका अनुमान है कि देशकी प्रचुर सम्पत्तिसे आकर्षित होकर मनेकवार विदेशियोंके भारतपर आक्रमण हुए और उसमें उनने खूब अंधाधुंधी मचाई। उपरोक्त स्थितिके कारण भारतवासी उनका मुकाबिला करने के लिये पर्याप्त बलवान न रहे; किन्तु उनके इस कथनमें, ऐतिहासिक दृष्टिसे, बहुत ही कम तथ्य है । तत्त्वज्ञानकी अद्भुत उन्नति भगवान महावीर और म० बुद्ध के समयमें खुब हुई थी। उससमय देशके एक छोरसे दूसरे छोरतक आध्यास्मिक भावोंकी लहर दौड़ रही थी; किन्तु उससे लोगोंमें भीरताका समावेश नहीं हुआ था। यह जीवके अमरपनेमें दृढ़ विश्वास रखते थे और यही कारण था कि अन्तिम नन्दराजाके समयमें हुए सिकंदर महानके आक्रमणका भारतीयोंने बड़ी वीरताके साथ मुकाबला किया था। यहांतक कि भारतीय सेनाकी दृढ़ता और तत्परता .देखकर युनानी सेनाके आसन पहलेसे भी और ढीले होगये थे।
फलतः सिकन्दर अपने निश्चयको सफल नहीं बना सका था। इसके उपरान्त चन्द्रगुप्त मौर्य ने उस ही आध्यात्मिक स्थितिके मध्य निस सत्साहसका परिचय दिया था, वह विद्वानोंके उपरोक्त कथनको सर्वथा निर्मूल कर देता है। सम्राट् चन्द्रगुप्त मौर्यने यूनानि. * भारतवर्षका इतिहास पृ० १९.
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