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भगवान महावीरका नित्रणकाल। [१७१
प्राप्त करने की घटना मुख्य थी, इस हमारी गणनाके अनुसार उस समय म० बुद्धकी अवस्था ४८ वर्षकी प्रगट होती है और इसका समर्थन उस कारणसे भी होता है, जिसकी बनहसे म० बुद्धके ५० से ७० वर्षके मध्यवर्ती जीवन घटनाओं का उल्लेख ही नहीं के बराबर मिलता है।
बात यह है कि भगवान महावीरके सर्वज्ञ होने और धर्मप्रचार प्रारम्भ करने के पहलेसे ही म० बुद्ध अपने मध्यमार्गका प्रचार करने लगे थे, जैसे कि बौद्ध ग्रंथोंसे भी प्रगट है।' मतएव दो वर्षके भीतर २ भगवान महावीरके वास्तु स्वरूप उपदेशका दिगन्तव्यापी होना प्रारूत सुमंगत है । और भगवान महावीरके प्रभावके समक्ष उनका महत्व क्षीण होनाय तो कोई आश्चर्य नहीं है । यह बात हम पहले ही प्रगट कर चुके हैं और इसका समर्थन स्वयं बौद्ध ग्रन्थोंसे होता है। अतएव उपरोक्त गणना एवं भ० महावीर
और म० बुद्ध के परस्पर जीवन सम्बन्धका ध्यान रखते हुये म: बुद्धकी निधन-तिथि ई० पूर्व ४८२ या ४७७ स्वीकार नहीं की जासती ! बल्कि हमारी गणनासे प्रगट यह है कि भ० महावीरसे छ वर्ष पहले म० बुद्धका जन्म हुआ था और उनके निर्वाणसे दो वर्ष बाद म• बुद्धकी जीवनलीला समाप्त हुई थी। वेशक बौद्ध शास्त्रों में म० बुद्धको उस समयके मत-प्रवर्तकोंमें सर्वलघु लिखा है; किन्तु उनका यह कथन नि ष नहीं है, क्योंकि उन्हीं के एक अन्य शास्त्रोंमें म० बुद्ध इस बातका कोई स्पष्ट उत्तर देते नहीं -- १-मनि० भा० १ पृ० २२५; सनि० भा० ११ पृ० ६६ ष "वीर" वर्ष ६ । २-भमवु० पृ० १०३-११०।।