________________
१७०] संक्षिप्त जैन इतिहास ।
इस गणनाके अनुसार अर्थात् विक्रमके जन्मसे १७० वर्ष निर्वाणकाल ई० पू० पूर्व (५४९ ई० पू०) वीर निर्वाण मान
५४५ में था। नेसे, उसका अजातशत्रुके राज्य कालमें ही होना ठीक बैठता है और म० बुद्धका तब जीवित होना भी प्रगट है । अतः यह गणना तथ्यपूर्ण प्रगट होती है। शायद यहांपर यह भापत्ति की जाय कि चंकि अजातशत्रुका राज्यकालका अंतिम वर्ष ई० पूर्व ५२७ है और म० बुद्धकी देहांत तिथिका शुद्धरूप ई० पू० ४८२ विहानोंने प्रगट किया है। इसलिये वीर निर्वाण कोई ई० पर्व ६२७ वर्ष में हआ मानना ठीक है। किन्तु पहिले तो यह आपत्ति उपरोक्त शास्त्रलेखोंसे बाधित है। दूसरे अजातशत्रु वीर निर्वाणके कई वर्ष उपरांत तक जीवित रहा था, यह बात जैन एवं बौद्ध ग्रन्थोंसे प्रगट है। इसलिये उनके अंतिम राज्यवर्ष ई० पूर्व ५२७ में वीर निर्वाण होना ठीक नहीं जंचता। साथ ही यदि म० बुद्धकी निधन तिथि ४८० वर्ष ई० पू० थोड़ी देरके लिये मान भी ली जाय तो भगवान महावीरके उपरांत इतने लम्बे समय तक उनका जीवित रहना प्रगट नहीं होता । अन्यत्र हमने भगवान महावीर और म० बुद्धकी अंतिम तिथियों में केवल दो वर्षों का अन्तर होना प्रमाणित किया है। डॉ. हार्णले सा. इस अन्तरको अधिकसे अधिक पांच वर्ष बताते हैं, परन्तु म. बुद्ध और भ० महावीरके जीवन सम्बंधको देखते हुये, यह अन्तर कुछ अधिक प्रतीत होता है ।, भ० महावीरके जीवनमें केवलज्ञान ... १ जयिओसो०, भा० १,पृ०.९९-११५ व उपु०१ २-वीर, वर्ष ६.३-आजीविक-इरिह०। ।
-