________________
( २ ) २-जैन-धर्म के स्थापक कौन हैं? जैन धर्म के संस्थापक कोई भी नहीं है। जीव द्रव्य जब अनादिसनातन है, नब उसका स्वभाव किंवा धर्म भी अनादि-अनन्त
और सनातन होना ही चाहिए। इम धर्म को ममझानेवाले, उपदेश देनेवाले, किंवा इस धर्म के प्रकाशक व्यावहारिक दृष्टि से इस काल की अपेक्षा से भगवान श्री ऋषभदेवजी है, जो जैन-धर्म कोपीस नीरों में से मर्वप्रथम नोर्थवर माने जाते हैं।
जिन कौन है? रागा पाटि पाएमा के अरि दुगुगों के विजेता प्रारमा को जिन कहते है। ४-मिन मूर्तियों से किंवा वीतराग प्रतिमाओं से क्या
शिक्षाएँ मिलती हैं ? जिन प्रतिमाएं आत्मा को वीनगग ज्योतिर्मय बनाने में प्रधान प्राण मायन है तथा वीतगग अवस्था एवं प्रारमयान में रहने की य शिना देती हैं। जिन प्रतिमाएं वीतराग योनि की प्रदर्शिका है। इस कारण मान-मार्ग को वे दीपिका म्वाप हैं।
५-जैन मस्कृति क्या है ? प्राणीमात्र क पोद्गालक मोनिक) श्रासन को हटाकर, उन्हें पारिमविभूति के प्रनि प्रापित करना है नथा प्रान्म गुणों पोर माभ्यास्मिक मुग्यों का उन्हें उपभोक्ता बनाना है। एव विशिष्ट संस्कारों को रखकर विशिष्ट व्रत नियमादि का प्रव.