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१५-पन कमाने में इल, कपट, चोरी, असत्य और ईमानी का त्याग करो। अपनी कमाई में यथायोग समी का हक मममो।
-नियों के बरा न होकर उनको वश करके उमसे यण योग काम लो।
परिमम, व्यायाम और नियमादि के नागशरीर को नीरोग रखो। ___ -ममा हास्याग कगे। धुरे मन से बुरी वृति होती है और सर्वथा पतन हो जाता है।
१-अपने लक्ष्यको सहमदा यात सम्बो । प्रत्येक चटा लक्ष्य की मिदिही के लिये करो।
-संसार में रहो, पर उमक होकर न रहो । पृथक गहना बस इसी सिद्धान्त पर चलने से मुकि हो सकती है।
१-तुम्हें दुनियों में कोई हानि व लाभ नहीं पहुँचाता । जैसा बोज पोते हो, वैमा हो फल नुम्हें मिलता है।
-कवल अपनी नामममी से तुम यदि संमार के लोगों को लाभ न पाओगे तो स्वयं हो तुम अपने शत्र, बनोगे।
२३-म शरीर में तुम्हारी पारमा बिजली के ममान एक क्षण में निकला जायगी भोर फिर तुम ऐसे अन्धकार में केक दिए जागोगे कि जहाँ न कुछ देख सकोगे और न कुछ कर हीमकोगे। ___४-भला काम पाहे थोड़ा ही क्यों न हा. वह भी हीरे के ममान प्रकाशमान होता है।
५-अगर तुम योग और तपस्या करने में मनमर्थ हो तो मंबन्धन से छुटकारा पाने के लिये यही सरल मार्ग है कि अपने हदय में बुरी भावनाएं पैदा मन होने दो।