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हैं. इन सब पदार्थो का उपादान कारण ‘परमाणु' हैं. अनंत सूक्ष्म परमाणुओं का एक वादर स्थूल परमाणु होता है,जिसको 'पुद्गल' कहते हैं. सो इन पुद्गलों का स्वन्नाव सूक्ष्म, स्थूल, शुन्न,अशुनपन को व्य--क्षेत्रकाल-नाव के निमित्तों से परिणम जाने का अर्थात् बदल जाने का होता है; अर्थात् . व्य तो पृथिवी, जल आदिक; देत्र (जगह);
और काल, ऋतु (मोसम); नाव, गेहूं से गेहूं और चणे से चणे और तृण आदि का उत्पन्न होना, और उनमें एकेन्श्यिपन वनस्पति योनि वाले जीव और जीव के कर्म इत्यादि से यथा पृथिवी और जल के संयोग से घास उत्पन्न होता है; घास को गौने खाया, उस गौ की मेद की कलों से घास का दूध बनता है; दुध को मनुष्य ने मिशरी माल कर पीया; तव मनुष्य के मेद की कलों से उस दूध से सात धातु बनते हैं; और विष्टा (मलमूत्र.) जी ब