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र तिलों में तेल, दूध में घी; धातु में कुधातु, इत्यादि स्वतः ही मिले मिलाये होते हैं; किसी तीसरे के मिलाये हुए नहीं हैं. परन्तु किसी समय यंत्र (कोल्हू ) के, और विलौनी के,
और ऐदन के प्रयोग से अलग हो जाते हैं. ... (३) 'संयोग संबंध' उसे कहते हैं जो दो वस्तु अलग होवें और एक तीसरे मिलाने वाले के प्रयोग से मिलें, फिर समय पाकर विम जावें, क्यों कि जिस के मिलने की आदि होगी यह अवश्य ही विमेगा; यथा दृष्टान्त है कि, तख्ते और लोहे (कीत) से तख्न, वस्त्र, और रंग से रंगीत, इत्यादि तीसरे के संयोग मिलाने से मिलते हैं; अ.
त तरखान के और लतारी के और दूसरा संयोग सम्बंध तीसरे के बिना मिलाये नी होता. जैसे परमाणु कवे चिकने की पर्याय यथा प्रमाण मिलने का बन्नाव होता है.दृष्टान