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नेजा गया, तो माथा उकोरे कि मेरी प्रारब्ध; तो लोग जी कहेंगे,कि वेशक ! यह पूर्व कर्म का फल है. इसने चोरी नहीं की अब उसको पूर्व जन्म के किये हुए सञ्चित कर्मों का, निमित्तों से दुःख नोगवना पमा. परन्तु उसे _ आगे को उर्गति नीनोगनी पमेगी, अपितु नहीं.
तथा किसी अहे कुल की स्त्री विधवा आदिक ने अनाचार सेवन किया तब लोग निन्दा कर के रगञ्चने लगे (फिटलानत देने लगे) तव, वह कहने लगी कि, मेरी प्रारब्ध; तो लोग कहने लगे कि प्रारब्ध वेचारी क्या करे ? जब तुझे स्वतंत्रता से कुकर्म ( खोटे कर्म ) मंजूर हुए. यदि किसी सुशीला स्त्री को किसी पुष्ट ने लाचन लगादिया कि यह व्यभिचारिणी है, तो वद कटती दे कि मेरी प्रारब्ध,तो उसका यह कहना सत्य है.क्या कि उसने कुकर्म नहीं किया-नस