________________
मा लगी. मेरे क्या वश की बात है ! अब सोचो कि वह और उस के घर के उस ईट मारने वाले के शत्रु हो जावें.वा नालिश करें, अथवा मुकदमें में जेहलखाना होवे, अपितु नहीं ? बस! यही कहेंगे कि यह प्रारब्धी मामला है, इसकी आंख इसके हाथ से फूटनी थी. अब देखो! उस आंख फोमने का आगे को कुन्नी फल न हुआ, क्यों कि यह बिना इरादा, पूर्व कृत संचित कर्म का फल परतंव्रता से नोगा गया. हां! इतना तो अवश्य कहना होगा कि,अरे मूर्ख! तूने बुद्धि (अकुल) से ईट क्यों ना फैकी ? यदि वह आंखो के फोमने के इरादे से ईट मारता तो चाहे आंख फूटतीन फूटती परन्तु उसका फल आगे को अवश्य ही इस लोक में तो जुर्माना (जेहलखाना) आदिक होता, और परलोक में आंख पटनं आदिक का दुःखदायी फल होता.