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४६ __.. जमीन्दारः-एक और निकल गई;
फर?
राजाः --फेर? जमीन्दारः-फर! . राजाः-फेर ? जमीन्दारः-फर!
इसी प्रकार से बहुत काल तक राजा और जमीन्दार "फेर” “फर" कहते रहे,अन्त में लाचार होकर, राजा बोला कि, हे जमीन्दार ! तेरी "फर्र" कन्नी समाप्त नी होगी? जमीन्दार ने जवान दीया की, जब तुम्हारी “फेर” समाप्त होगीतली मेरी “फर" खतम होगी!
शिष्यः-यह कई मतानुयायी लोक पूक्ति ईश्वर को किस कारण से कर्त्ता मान
गुरू:-जम वस्तु स्वयं दी (आप ही) नही मिलती और विछमती; इनके मिलाने वा