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आदि पूर्वक खोटे कर्म करेंगे.यदि मालूम होतो, तो ऐसे ५ उष्टकर्म करनेवाले जीवों को ईश्वर स्वतंत्रता कदापि न देता. इस से प्रथम अल्पज्ञता का दोष सिंह हुआ. यदि मालूम था, तो ऐसा उष्ट कर्म करनेवाले जीवों को ईश्वर ने स्वतंत्रता (अख्तियारी) दी, सो मदा अन्याय है.क्यों कि, अब जी राजा लोग उष्ट कर्म करने वाले [स्वामी की मर्जी से प्रतिकूल अथात् बिना आज्ञा से चलने वाले]उष्ट जनों को स्वतंत्रता नहीं देते हैं. इस से दूसरा अन्यायता का दोष सिद्ध हुआ.
आरियाः-ईश्वर उन कसाईयों से उन जीवों का कर्म फल (बदला) जुगताता है.
जैनी:-तो फिर ज्यों नी ईश्वर के ही जिम्मे दोष आवेगा. क्यों कि जब गौ के जीव ने कर्म कसाईयों से जुगताने वाले करे होंगे, तवजी तो ईश्वर मौजूद ही होगा.फिर वद कर्म ईश्वर ने कैसे करने दिये,जिन का फल(बदला)