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सि हुआ. और "अहिंसा परमो धर्मः" यह कहना कहां रदा? यदि विना मर्जी से कहो, तो ईश्वर नन हिंसकों (कसाईयों) से मर कर क्या लाचार दो रहता है? जो किचनको रोक नहीं सकता तो पूर्वोक्त शक्तिहीन ठहरा; अ. र्थात् सर्वशक्तिमान न रहा.
आरियाः-ईश्वर ने जीवों को स्वतंत्रता अर्थात् अख्तियार दे दिया है, इस कारण सें अव रोक नहीं सकता; जो चाहें सो करे.
जैनी:-बस! अब तुम्हारे इस कथन से हमारे पूर्वोक्त [पहले कहे हुए] दो दोष सि हुए.
आरियाः-कौन से वह दोष हैं ?
जैनीः-एक तो अल्पज्ञता, और दूसरी अन्यायता.
आरियाः-किस प्रकार से ?
जैनी:-इस जान्ति से; ईश्वर को प्रतीत (मालूम) न होगा कि यह जीव हिंसा