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के अधीन हो तो सब को पूर्वोक्त एक सार करे. परन्तु पिता के कुछ अधीन में नहीं, जनही के पूर्व कर्मों के अधीन है. कोई कर्मों के अनुसार बुद्धिमान और कोई मूर्ख, और कोई धनाढ्य ओर कोई दरिद्री, और कोई कुपात्र, और कोई सुपात्र होते हैं. अब देखिये कि किसी के पुत्रने किसी कारण से जहर खा खि - या; जब उस को कष्ट हुआ तब उस का पिता और पिता के सजन जन खाए और मालूम किया कि इसने जहर खाया है; तब जस के पिता को सब सजन पुरुष उपालम्भ ( जलांजा ) देने लगे कि तूने इस को जदर क्यों खाने दिया ? तब उसका पिता बोला, कि मला ! मेरे सन्मुख (सामने) खाता तो मैं कैसे खाने देता ? मेरे परोक्ष [परोखे ] खा लिया है. अथवा फिर उस के पिताने कदा कि खाया तो मेरे प्रत्यक्ष [सामने] ही है. तब सजान पुरुषों ने कहा कि तूने जहर खाते