________________
... ... .
(२४) . जैनीः--और तुमने यह जो ऊपर लिखा है, कि विदेह मुक्ति अर्थात् जो वेदान्ती ब्रह्मज्ञानी मुक्त हो जाता है; (मर जाता है) तब सब संसार का नाश हो जाता है, सो हम तुमको यों पूबते हैं, कि जो वेदान्ती ब्रह्मज्ञानी मर जाता है, उसका नाश हो जाता है, वा उसके मरते ही सब वेदान्तियों की मुक्ति हो जाती है,अथवा सर्व संसार का प्रलय हो जाता है, अर्थात् मुक्ति (मर जाना) क्यों कि तुम तीसरे अध्याय ६० वें पृष्ठ में लिख आये हो कि, जो अपने आपको ब्रह्म मानता है वह चाहे रो पीट कर मरे, चाहे चंमाल के घर मरे, उसकी अवश्य ही मुक्ति हो जाती है, तो तुम्हारे कथनानुसार उसकी मुक्ति होते ही सब
संसारका नाश हो जायगा, इसमें हमें एक तो .. खुशी दासिल दुई कि वेदान्ती तो बडे सा. धनों से परम हंस बन कर मुक्त होंगे, और