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___ गोद में पुरीषोत्सर्ग कर दिया है, मेरे कपमे ' विष्ठा से जर गये, उधरसे नौकर पूब रहा है, कि अजी क्या श्लाऊं, तो वह कहने लगा, कि विष्ठा लाओ! ऐसे ही प्रायः स्वप्न में मन के संकल्प नी हुआ करते हैं.
नास्तिकः-तो यह बताओ, कि स्वप्न कै से आता है ? और कुछ का कुछ क्यों दीखने लग जाता है ?
., जैनी:- तुम स्वप्न स्वप्न यों ही पुकारते हो, तुम्हें स्वन्न की तो खबर ही नहीं है. दे जाई! स्वप्न कोई ब्रह्मा तो नहीं दिखाता है,
और न कोई स्वप्न में नई सृष्टि ही बस जाती.' • है, और नाही कोई तुम्हारा ब्रह्म अर्थात्
जीव, देह से निकल कर कहीं जाग जाता है. स्वप्न तो इभिन्यों के सो जाने और मन के जागने से आता है.और कुब का कुब तो पूवोक्त मन के खयाल बिचल जाने से दीखता है."