________________
२०४
हते हैं, कि एक ब्रह्म ही है और दूसरा कुहनी पदार्थ नहीं है, इस में एक श्रुतिका प्रमाण जी देते हैं. “ एक मेवाद्वितीयं ब्रह्म"
जैनी:-ब्रह्म चेतन है वा जम? नास्तिकः-चेतन.
जैनीः-तो फिर जम पदार्थ चेतन से न्यारा रहा. यह तो दो पदार्थ हो गये; (१) चेतन और (२) जम. क्यों कि जम चेतन दोनों एक नहीं हो सकते हैं. किसी प्रयोग से मिल तो जाय परन्तु वास्तव में एक रूप नहीं होते हैं, क्षीर नीरवत्. और वेदान्ती आनन्दगिरि परमहंस कृत आनन्दामृत वर्षिणी नाम पुस्तक विक्रमी संवत २५५३ में बंव पी जिसके प्रथम अध्याय के २७ वें पृष्ट में लिखा है कि प्रथम श्रुतिने देद आदि को
आत्मा कहा, और जीव ईश्वर से गुणका नेद कहा, फिर उसका निषेध किया.