________________
२०५ .... . . तर्क:-प्रथम ही एक निर्गुण ब्रह्म का उपदेश क्यों नहीं किया? ... ... उत्तरः-जो श्रुति प्रथम ही ब्रह्म का बोध न करती, तो ब्रह्म के अति सूक्ष्म होने से इस जीव को ब्रह्मका कदापि बोध न हो सकता. - जैनीः-देखो ! इस लेख से नी द्वैतनाव ' , सिद्ध होता है. अर्थात् जीव और ब्रह्म दो पृथक् हुए, क्यों कि एक तो याद करने वाला
और एक वह जिस को याद कियाजावे, तथा एक तो ढूंमने वाला, अर्थात् जीव, और दूसरा वह जिसको ढूंमे, अर्थात् ब्रह्म..
. नास्तिकः--नहीं जी, जीव और ब्रह्म एक ही हैं. वह अपने आप ही को ढुंमता है. - जैनी:-जो आपदी को जुल रहा है वद , ब्रह्म काहेका हुआ ?, वह तो निपट ग्रंथल (अज्ञानी) हुआ.. ... .
( नास्तिक चुप हो रहा.) :