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मिलाप कलियुगदूत ने जला कब होने दिया? यद्यपि वनों की शिदा है:मत मतान्तर विवाद में, मत उरको मतिमान्। सार ग्रहो सब मतन का,अपनी मति समान।। निज प्रातम को दमन कर पर आतम को चीता परमातम का नजन कर रही मत परवीण ॥
प्रल १६. पृच्छकः-अजी! आपने १२ वें प्रश्न के अंते लिखा है, कि वेदान्ती नास्तिक है, अर्थात् वेदानुयायी आदि- तो लोक, परलोक, आदिक आस्तिक प्रवृत्ति मानते हैं; परन्तु अन्तमें नास्तिक मत ही सिद्ध होता है सो कैसे है ?
उत्तर:-हमारी एक दो वार वेदान्तियों से कुछ चर्चा नी हुई, और वेदान्त के एक दो ग्रंथ प्ली देखने में आयें, उनसे वह ही प्र. गट हुआ कि यद् वेदान्ती अत्तवादी नास्तिक हैं. अर्थात् वेदान्ती नास्तिक ऐसे क