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हुए. उस मोदपद सिद स्वरुप की स्तुति की है. और इसी प्रकार से तुम लोग नी मानते हो. जैसे कि सम्बत् १५४ के बपे हुए “सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम समुल्लास की ३ री पृष्ठ ११ वी पंक्तिमें लिखा है, कि "B" आदि परमेश्वर के नाम यजुर्वेद में आते हैं, और ४ र्थ पृष्ट नीचेकी रम पंक्ति में और पृष्ट ५ मी की ऊपरखी रम पंक्ति में लिखा है, कि सर्व वेद सर्व धर्म अनुष्ठान रूप तपश्चरण जिसका कथन मान्य करते, और जिसकी प्राप्ति की श्ला करके ब्रह्मचर्याश्रम करते हैं, उसका नाम "ॐ"कार है. अब समऊने की यद बात है, कि जिसकी प्राप्ति अर्थात् परमेश्वर के मिलने की श्वा करके तप आदि करते हैं अर्थात् प्राप्ति होना, मिलना, शामिल होना इनका वास्तव में एक ही अर्थ है.
आरिया:-जैन मत में तो, जीव त