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कि हमतो ए, बी, सी, मी, नहीं सीखते दमा, री बुद्धि में तो आज ही बी. ए, एम. ए. वाली बातें बुद्धि से ही समका के बकालत का ऊँमा दिलवा दो; नहीं तो इतनी २ बमी कि: ताबें पढते ही बूढे हो जायगे. चला, ऐसे हो.. सकता है ? कदापि नहीं. तो फिर यह पूर्ण , परमार्थ रूप अनादि अनन्त मुक्ति आदिक वर्णन (बयान) विना सत्शास्त्रों के अवगादे कैसे जाना जावे? तांते कुछ वीतरांग नाषित सूत्रों को सीखो, सुनो, ना तो सत्यवादियों के वाक्य पर श्रद्धा ही करो; यदि तुम्हारी सी; तरह ईंट मारवें प्रश्नों के उत्तर में ही पूर्वोक्त अर्थ दलील में आ जाता तो सर्वझ और . अल्पज्ञ-विज्ञान और मूर्ख की बात में
द ही क्यों होता ? सब ही सर्वज्ञ और विधान हो जाते. अल्पज्ञ और मूर्ख कौन रहता? दे नाई! दलील में सम्पूर्ण ज्ञान नहीं आ सकताः यथा समुद्र का जल न तु खु.