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२७ कट शहर आगरा जमींदार ज्ञातीच माता - - लवन्ती, और पिता बलदेवसिंह के घर मेरा जन्म हुआ, और फिर मैने पूर्व पुण्योदय से सम्बत् १ ए३४ के साल में जैनमत में सती का योग (संयम) ग्रहण किया, और फिर हमेश ही साधवीयों के साथ नियमपूर्वक विचरते हुए, दिल्ली, आगरा, पञ्जाब स्थल में रावलपिएमी, स्यालकोट, लाहौर, अमृतसर, जालंधर, दोश्यारपुर. बुदेहाना, पटियाला, अम्बाला, आदिक गांव नगरों में धर्मोपदेश सन्ना समीक्षा करते रहते हैं. और युधि के - अनुसार जयविजय जी होती ही रहती है. फिर विचरते जयपुर, जोधपुर, पाली, जनयपुर आते हुए २५६ के साल माघ महीने में अजमेर के पास एक रजवामा रियास्त शायापुर में चार पांच दिन तक मुकाम किया, और वहां तीन दिन तक सन्ना, समीक्षा, धर्मोपदेश किया, जिसमें पोसवात, राजपूत,