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२७॥ __योगी योगाभ्यास आदि तप कर के अज्ञान
का नाश करें और ज्ञान का प्रकाश होवे, तो वह ज्ञान का प्रकाश क्या मियाद वांध कर होता है, कि इतने काल तक ज्ञान रहेगा! अपितु नहीं; सदा के वास्ते, इस कारण तुम्हारे बाली मुक्ति ठीक नहीं. यथा तुमारे ऋग्वेद जाप्य भूमिका आदिक पुस्तकों में लिखा है कि चार अर्व वीस किरोम वर्ष प्रमाण का एक कल्प होता है, सो ईश्वर का दिन होता है. अर्थात् इतने काल तक सृष्टि की स्थिति होती है, जिसमें सव जीव शुन्न वा अशुन कर्म करते रहते हैं. फिर चार अर्ब विस किरोम वर्प प्रमाण विकल्प अर्थात् ईश्वर की रात्रि होती है अर्थात् ईश्वर सृष्टि का संदार कर देता है. परमाणु आदि कुच्छ नही रहते हैं. और सब जीवों की मुक्ति हो जाती हैं.
अर्थात् पूर्वोक्त विकल्प काल ईश्वर की रात्रि ... में सव जीव सुख में सोये रहते हैं. फिर वि