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. १७ (छूट जाने ) का और निजगुण प्रकाश हो । कर परम पद में मिल जाने का नाम है. __ आरियाः-मुक्ति की और ज्ञान की नत्पत्ति हुई है तो कली विनाशनी अवश्य ही होगा, अर्थात् फिर भी बंध में पमेगा. __ जैनी:-लो देखिये, अज्ञानियों की बात! मुक्ति की और ज्ञान की उत्पत्ति कहते हैं! अरे नोले ! यह मुक्ति की और ज्ञान की नत्पत्ति हुई वा अनादि निजगुण का प्रकाश हुआ ? नत्पत्ति तो दूसरी नई वस्तु पैदा होने का नाम है, जैसे कैदी को कैद की मोद होती . है तो क्या यह नी नियम है कि कैद कितने काल के लिये छूटी ? अपि तु नहीं. कैद की तो मियाद होती हैं परन्तु छूटने की मियाद नहीं है; हमेश के लिये छटता है.विना अपराध किये कैद में कली नहीं आता है. मुक्ति में तो कुच्छ कर्म करता ही नहीं,जो फिर बंधन में आवे. इस लिये मुक्ति सदा ही रहती है, यथा