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१७६ लत ने कहा कि यहां तो दीवानी और फौजदारी के फैसले करने का अख्तियार है, कर्मों के फैसले करने में हमारी शक्ति नहीं है. तब वह शाहूकार दरजेवदरजे राज दीर में पहुंचा, और पहुंच कर प्रार्थना की, तो राजा ने कहा कि बडे माक्टरों से इसका इलाज कराओ, तो शाहूकार बोला कि में बहत इलाज कर चुका हूं; आप प्रजा के रक्षक दो सो मेरे दीन पर नी कृपादृष्टि करो, अर्थात् मेरा दुःख दूर करो, क्यों कि आप राजा हो, सब का न्याय करते हो, तो मेरे पुत्र का कर्मों से क्या फैसला न करवाओगे? राजा ठहर कर बोला कि राजा तथा महाराजा सब सांसारिक धन्दों के फैसले कर सकते हैं, परन्तु कर्मों का फैसला करने का किसी को नी अख्तियार नहीं है, कर्मों का फैसला तो श्रात्मा और कर्म मिल कर होता है. वस, अब देखिये कि जो लोग ईश्वर को कर्मफल