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२७ रादरी के रक्षक हो, मेरे पुत्र की आंखें अबी करो. तो पञ्च बोले कि नाई! तूं नसका इलाज करवा. शाहूकार ने कहा कि मैने इलाज तो बहुत करवाये हैं, परन्तु वह अब्बा
नहीं हुआ. अब आप लोगों की शरण आ__ या हूं. तब उन्होने कहा कि हम पञ्चों को तो
बरादरी का झगमा तैह करने का अख्तियार है, परन्तु ऐसे कर्मरोग के हटाने में हमारी सामर्थ्य नही है. तव वह शाहूकार लाचार हो कर अदालत में गया. वहां जा कर दरखास्त की कि आप प्रत्येक का इनसाफ करके दुःख दूर करते हो, मेरे पुत्र के नेत्र भी अच्छे कर दीजिये. तब अदालत ने कहा कि तुम इसको शफाखाने ले कर किसी माक्टर से इलाज करवा. शाहूकार ने कहा कि मैंने बहुत इलाज करवाया है,
आप ही कुच्छ इनसाफ करो, कि जिससे इसकी आँखें अच्छी हो जावे, तव अदा
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