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रुख कौन कहते हैं? वास्तव में तो यह बात
कि वेदों का पाठी तो इन लोगों में कोई 'यद ही हो परन्तु प्रत्येक वेदों के अज्ञ
नावाकिफ) वेदों के नाम का सहारा ले कर . कोई उपनिषद् स्मृति आदिकों में से देशा2श कहीं का ग्रहण कर के मनमानी कल्पना : करश के वैदिक बन रहे हैं, और आज कल नी देखा जाता कि यह दयानंदी लोग दयानंद के कथन पर नी विश्वस्त नहीं हैं, क्यों कि दयानन्द वाले 'सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम बारद समुल्लास थे इन्दों ने उसमें से आगे पीछे कर करा कर कुब और अम. गम समगम मिला कर चौदद समुल्लास कर दिये हैं, और अन्त में वेदान्त अर्थात इन सब. वेदानुकूल मतों की नदियें नास्तिकमतः समुप में जा मिलती हैं. इनदी बेदानुयायीयों की बनायी दुई. गीताजी. वतिष्ठ विचारसागर आनन्दामृतवार्षणी आ- .