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तथा 'अनुयोगमार' में वेद अज्ञानियों का । नाये हुए लिखें हैं. (१२) आत्मा नन्दविजय) समवेगी अपने बनाने 'अज्ञानतिमिर जास्कर' ग्रंथ केसर खण्फ के १५५ पृष्ठ में वेदों को निर्दयी साहारी कामियों के बनाये हुए लिखता (१२) दयानन्द सरस्वती वेदानुकूल द्धादि क्रिया का और श्री गंगादि तीर्थ THE का और मूर्तिपूजन का सन् २०७५ बपे हुए 'सत्यार्थप्रकाश' में उपदेश का हैं. और पीने के बपे हुए में पूर्वोक्त मारत दि नक्षण का निषेध करते हैं; और एक स्त्री को एक विवाहित और दस नियोग। अर्थात् करेवे करने कहते हैं. और मुक्ति से पुनरारत्ति (वापिस लौट आना) कहते हैं; अब क्या विधान् पुरूषों के.चित्त में यह विचार नहीं उत्पन्न हुआ होगा कि न जाने वेदों में कौनसी बात है और बेदा