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कसाईयों को पापी कहना यह क्या ? क्यों कि जीव तो अजर अमर है, तो कसाईयों को पाप क्यों ? और दयावानों को धर्म क्यों ? और दयानन्दजी को रसोईये ने विष दे कर मार दिया नो नसे नी पाप नहीं लगा होगा ? क्योंकि दयानन्दजी का जीवनी तो अजर अमर दी होगा. ऐसे ही लेख रान को मुसलमान ने बुरी से मार दिया तो उसको नी दोष न हुआ होगा? अपितु हुआ,क्यों नहीं ? यह केवल. तुमारी बुद्धि की ही बिकलता है.
शिष्यः-मुक्के भी सन्देह दुआ कि अगर जीव अमर है तो फिर जीव घात (दिसा) को पाप क्यों कहते हो?
गुरू:-इस परमार्थ को कोई झानी दयाशील ही समझते हैं, नतु ऐसे पूर्वोक्त वुहिवाले, दयाश् कहके फिर हिंसा ही में तत्पर रहते हैं. जैसे गीता में लिखा है, कि अर्जुनजीने कौरव दल में सऊनों की दया दिल