________________
३ज्ञाताजी अध्ययन पांच में शेलक साधु को पन्थिक साधु ने मधु मांस ला कर दिया है;और ४ उत्तराध्ययनजी अध्ययन बाईसवें में नेमजी की वरात के लिये जग्रसेन राजाने पशुओं को रोका है.
उत्तर:-नगवतीजी में सींदां अनगार ने महावीरजी को पाक नामक औषध ला कर दिया है, जो पेचिश की बीमारी के काम आता है, और जो लोग मांस कहते हैं, वह जैन सूत्रों के अनभिज्ञ [अजान] जैन मत से भृष्ठ हैं. क्यों कि जैनसूत्र नगवतीजी में स्थानांगजी चतुर्थ स्थान में, उवाईज़ी में मांसाहारी की नर्क गति कही है. .. .
. गाथा. .. एवं खलु च ओहिं गणे हि जीवा, णे रइयत्ता ए, कम्म, पक्वरेताणे रइए सुअोव वचंति तंज़हा. महारंजयाए, महा परिग्गहाए पंचिंदिय वदेणं कुण माहारेण . . .