________________
२३२ (१३) प्रातःकाल में परमात्मा आदि गुणियों के गुण स्मरण रूप जप का करना, (२४) शास्त्रीय विद्या अर्थात् धर्म शास्त्रका पढना, (१५) सुपात्र को दान देना, (२६) सबके “साथ शिष्ठाचार (मित्र नाव) रखना..' .जैन आम्नायके साधुओंके नियमः-रहिं साशमिथ्या,३चोरी,धमैथुन,एपरिग्रहश्नपांचो
आश्रवों का त्याग करना, और दया,श्सत्य, ३दत्त, ब्रह्मचर्य, निर्ममता, यह पांच 'यम' अर्थात् इन पांच महावतों के धारक, जिन की पहिचान (शनाखत) श्वेतवस्त्र, और मुखवस्त्रिकाका मुख पर बांधना, रजोदरण अर्थात् एक उनका गुन्डा जीव रक्षा के निमित्त संग रखना, १ कौमी पैसे का न रखना, २ सवंदा यति पनमें रहना, ३ फल फूल आदि सुचित्तं वस्तु का आदार अर्थात् नोजन न करना भनिदा मात्र जीविका, अर्थात् आर्य लोगों के घर बार जा कर मांग कर निदोपी जिदा