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१३३ आदिक, वमी २ दूर तक बुद्धि दौमाते हैं, और वमी ३ विद्या का पास करते हैं, प्रत्युत (बल्कि ) कई धर्मात्मा पुरुष ईश्वर तक बुद्धि को पहुंचाते हैं, तो प्रतीत हुआ कि जीवात्मा चेतन, अर्थात् मनुष्य मात्र में कितना ज्ञान है तो कोई वह नी चेतन चिप होगा, कि जिसको परे से परे संपूर्ण ज्ञान होगा, अर्थात् वही सर्वज्ञ ईश्वर है, ऐसे जाना जावे.
१० वा प्रश्न. आरियाः-नला! यह भी यथार्थ है. परन्तु यदि ईश्वर को सुख दुःख का दाता न माना जावे तो फिर ईश्वर का जाप अर्थात् नाम लेने से क्या लान है ?
उत्तर जैनीः-नला! यह कुछ बुद्धि की बात है कि जो सुख दुःख देवे उसी का नाम लेना, ओर किसी न पुरुष (जले मानसका) नाम न लेना? अरे नोले! जो सुख दुःख देके