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कि परमाणु आदिक जम प्रकृति पदार्थ अ. नादि है, तो पदार्थ में मिलने वा विमने आदि का स्वन्नाव जी अनादि ही होगा, अर्थात् परमाणुओं का तर और खुश्क आदि स्पर्श होने से परस्पर सम्बंध होने का स्वन्नाव,यथा चिकने घमेपर गर्द (धूलि) का जम जाना, इत्यादि. जब कि स्वताव अनादि है तो उनके मिलाप से पिराम रूप पृथिवीनी अनादि हुई. जब पृथिवी अनादि हुई तो पृथिवी के आधार स्थावर, जंगम, जीवयोनि नी होगी। अर्थात् पृथिवी,जल,तेज,वायु और उनके साथ दीचं सूर्य आदिक ज्योतिषियों काजी भ्रमण होगा; और ज्योतिषियों के व्रमण : स्वनाव से सर्दी गर्मी की परिणमता, अर्थात् ऋतुयों (मौसमों) का बदलना,और साथ ही वायु का बदलना,और ज्योतिषियों की भ्रमण (आकर्षण शक्ति) अर्थात बैंच से वायु और रज मिल कर अांधी और बादल का होना और