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क्यों कि यदि ईश्वर सदा अर्थात् हमेश ही कर्म करता कहता हो तो दुर्भिक अर्थात् अकाल पाने के समय और महामारी (माकी) पमते में लाखों मनुष्य वा पशु आदिक जीव मरते हैं, तो उनकी रक्षा क्यों नहीं करता? ..
आरिया: उनके कर्म!
जैनी:-यह कहना तो कर्मकाएमवादियों का है, कि कर्म ही निमित्तों से फल जुगताते हैं. उसमें ईश्वर का दखल ही नहीं है. बस, वही ठीक है जो कि जैनी खोग कहते हैं कि ईश्वर अनादि है, और ईश्वर को जानने वाले वा स्मरण(याद) करनेवाले जी अनादि ही से चले आते हैं,और जनके रहने का.जगत् अर्थात् सृष्टि जी अनादि है, अर्थात् चतुर्गति रूप संसार, नर्क,तिर्यञ्च, मनुष्य, देवलोक, ज्योतिषी देव, अर्थात् सूर्य.
और चन्द्र जी अनादि से हैं और देखिये “सस्वार्थ प्रकाश समुल्लास वारहवे में दयानन्द