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मग्री क्या थी ? और परमाणु का क्या स्वरूप है? और सामग्री काहे की बनती है? और परमाणुं किस काम आते हैं? और जगत् बनाने की सामग्री आकाश विना काहे में धरी रही होगी? और फिर जेनी आदिकों की कहने पर शायद शंकित हो कर, उठी वारके उपे हुए 'सत्यार्थ प्रकाश' के आठवें समुल्लास २४ पष्ट ,G. ए पंक्ति में लिखतें हैं:-जगत् की नत्पत्ति के पूर्व (१) परमेश्वर (२) प्रकृति, (३) काल, (४) आकाश तथा जीवों के अनादि दोने से इस जगत् की उत्पत्ति होती है. यदि इनमें से एक नी न होवे तो जगत् नी न हो. तो अब कहो जैनियों का अनादि सृष्टि का कदना स्विकार होने में क्या नंद रहा?
और वह जी प्रना चाहिये की जब सृष्टि रचने से पहले ही काल था तो सृष्टि किस काल में रची, अर्थात् रात्रि काल में रची वा दिन में,और किम बनी चदि वक्त है तो