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20 . है, जिसे दिखाता है, कि देख तेरे में प्रभुता धनी है कि मेरे में, अथवा ईश्वर को तुम नट, वा बाजीगर समझते हो, जो सब लोगों को अपनी कला दिखाता है! परन्तु नट नी तो कला सप्रयोजन अर्थात् दामा के वास्ते दिखाता है. अरे हठवादिओ! क्या तुम कुम्हार का ह. टान्त ईश्वर में घटाते हो? कृत्रिम वस्तु का कती नो हम भी मानते हैं, यथा संयोग सम्वन्ध के विषय में लिव आये हैं कि संयोग सम्बन्ध के मिलाने वाला कोईतीसरा ही होता
घट. पट, म्नन. आदिक, घट का कर्ता कु लाल (कुम्हार), पट का कता तन्तु बाय (जलाना), स्तंल का कती रवानी (तरखान). त्यादि. परन्त अकृत्रिय बन्त का कती किसी प्रमाण ले भी लिए नहीं होता है या आकाश, काल, जौच (आत्मा), कर्म (प्रकृति) परमाणु प्रादिक का. और एसे ही नयायिक जी मानन दे न्यायदर्शन ' घुम्नक मम्बत्