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नाध्यक्षों को भी बहुत ज्ञानलान हुआ, और सन्ना विसर्जन हुइ.
जेनी:-कहो, वेदानुयायी ! तुम कितने पदार्थ अनादि मानते हो?
आरिया:-(२) ईश्वर, (५) जीव, (३) प्रकृति अर्थात् जम पदार्थ, प्रत्येक रूपी पदार्थ का ऊपादान कारण.
जैनी:--अब कहो ईश्वर ने क्या बनाया?
आरियाः-जैसे कुम्हार पात्र बनाता है, और तरखान, बुदार घमी बनाता है, इत्यादि,
जनी-जला,यह क्या उत्तर हुआ? मेंने क्या पूग और तूने क्या उत्तर दिया? जला, यही सही, कहो तो कुम्हार काहेका घमा बनाता है ? क्या अपने हाथ पांवों का, वा किसी और वस्तु का?
आरिया:--मट्टी का.