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१०४ श्वर ने जम काहे के बनाए ? क्यों कि जो वस्तु बनेगी उसका नपादानकारण अवश्य (जरूर) हीदोगा, कि जिससे वह बने.
ज्रमवादीः-हांजी, मैं नूल गया; जम पदार्थ तो अनादी हैं; परन्तु उनमें स्वनाव ईश्वर ने डाला है. - आचार्यः--अरे नोले! जब पदार्थ होगा तो पदार्थ का स्वन्नाव नी पदार्थ के साथ ही होगा. यथा पूर्वोक्त अग्नि होगी तो उसमें जलाने का स्वन्नाव जी साथ ही दोगा, जहर होगा तो मारने का स्वनावन्नी साथ ही होगा.
बस, इन बचनों को सुलते ही श्रमवादी नम को गेम आचार्यजी के चरणों में लगा और कहा, कि पदार्थज्ञान जैसा जैन शास्त्रों में है वैसा और किसी शान नहीं है, फिर उसने जैन आम्नाय को निश्चय से धारण किया, और फिर चमवादियों में न गया, स.