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नाव होता है, देश-काल के प्रयोग से अनेक प्रकार के स्वचाव के नाव को परिणम जाता है. अब तुके पुद्गल का सारांश संक्षेप से कहता हूं; सुन. (१) प्रथम तो दृष्टिगोचर जो पदार्थ हैं उन सब का उपादान कारण रूप एक भेद है: - परमाणुं. फिर दो नेद माने हैं: -- (१) सूक्ष्म, (२) स्थूल. फिर तीन भेदः - (२) विससा (२) मिससा, (३) पोगसा. फिर चार नेदः - इव्य (२) क्षेत्र, (३) काल, (४) नाव की अपेक्षा से. फिर पांच भेद हैं:(१) वर्ण, (२) गंध, (३) रस, (४) स्पर्श, (4) संस्थान. और फिर वः भेद हैं: - [१] बादर बादर, [2] वादर, [३] बादरसूक्ष्म, (४) सूक्ष्मवादर, [] सूक्ष्म, [६] सूक्ष्म सूक्ष्म. अब बादर बादर पुद्गल पर्याय रूप क्यार पदार्थ होते हैं ? यथा जल, दूध, घृत, तेल, पारा आदि. इनका स्वभाव ऐसा होता है कि इनको न्यारेश् कर देवें फिर मिलायें तो