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तो होवेगा दी, जो दृष्टिगोचर (नजर में ) दं ता है. अब देखो, उस प्रतिबिम्ब के वर्ण (र और व्याकार जिन परमाणुओं से बने, उ परमाणुच्छों के मिलने और बिबरने में कितन समय लगा ?
मवादी :- सुनोजी; मैं एक दिन बाद की भूमिका से चिन्ता मेटके पुनरपि आता अर्थात् लौट कर आता था; रास्ते में धूप प्रयोग से चित्त व्याकुल हुआ, तो एक या के वृक्ष के नीचे खमा होता जया. तब व स्मात् ( अचानक ) उस वृक्ष में से तख गिर परे और वह आपस में मिलर के एक उमदा तख्त बन गया और सुळे ब आश्चर्य हुआ; परन्तु उस तख्त परं मुहू मात्र अर्थात् दो घमी तर विश्राम ले क चलने लगा तब तत्काल ही वह तख्त फ कर तख्ते उसी आम के वृक्ष में जा मिले अब कहो, नहाचार्यजी ! यह कथन या