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हार गया. क्यों कि पदार्थों के नेद बहुत हैं, तथापि वह भ्रमवादी फिर जैन आचार्यों का शिष्य (चेला) बना, और विनयपूर्वक नम्र हो कर विशेष पठन किया (पढा) और उन महात्माओं ने धर्मोपकार जान कर हितशिदा से पाग्न कराया (पढाया). परन्तु वह काञ्जीका पात्र फिर नाग कर चमवादियों में मिल चर्चा का विस्तरा विछा वैग, और फिर जीव, अजीव के विचार में जैनीयों से दारा.इसी प्रकार से कहते हैं कि ग्यारह वीं वार पाएकलवाग में परम परिमत धर्मघोष अनगारजी के साथ दोनों ही पक्षों की और से चर्चा का आरम्न हुआ.
ज्रमवादीः-तुमारे मत में पुद्गल का स्वन्नाव मिलने बिठमने का कहा है; तो कितने समय में (अरसे में) मिल विउड सकते हैं ?
और अवस्था विशेष कितने काल तक रह सकते हैं?