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कमे हो गये हैं उनमें से जी एक टुकडे के कइ टुकने हो सकते हैं. क्यों कि उसी सुरमे को यदि तीन दिन तक और पीसें तो बारीक होवे वा नहीं होवे ? तो बारीक जब ही होगा जब एक के कई टुकमे हों; ऐसे ही २१ दिन तक रगमा, तो कैसा बारीक हुआ ? उसमें जरा अङ्गुली लगा कर देखें तो कितना सुरमा अर्थात् कितने खएम (टुकडे) अङ्गली को लगें ? किरोम. हां, अब एक टुकमे को अलग करना चाहें तो किया जावे, कर तो लिया जावे; परन्तु ऐसा वारीक औजार नहीं है, और वह खंग वा टुकमा जी अनन्त परमाणुओं का समूद (पिंग ) होता है. क्यों कि वह दृष्टि में प्रा सकता है, और उन परमाणुओं में वर्ण, गंध, रस, स्पर्श, जो है, मिलने - विवमने का स्वभाव भी है. क्यों कि नये - पुराणे होने की पर्याय जी पलटती रहती है, और इन पर - माणु यदि पदार्थों का अधिक स्वरूप देख